कुछ रंग हो, कुछ भंग हो, और अपनों का संग हो.... अबीर-गुलाल और गुझियों वाली, आपकी होली रंगारंग हो।
अपनों का संग हो यह लगाववादी बात अच्छी लगी। होली के विषय में कुमार कौतुहल लिखते हैं
बुरा न मानो होली है
काम नेक ये कर बैठी नाम एक से कर बैठी सबकी सब पहचान मिटी आनोबानोशान मिटी लेकर सभी गुलाल चले सब मिट्टी के लाल चले किसने कितने गाल मले ? सबमें यही सवाल चले होली हंसी ठिठौली है बुरा न मानो होली है to read more search in google Kumar koutuhal. If you are interested in ghazal visit me.. http://kumarzahid.blogspot.com
wah wah! kya baat hai!
ReplyDeletehe he... dhanyawad.
ReplyDeleteकुछ रंग हो, कुछ भंग हो,
ReplyDeleteऔर अपनों का संग हो....
अबीर-गुलाल और गुझियों वाली,
आपकी होली रंगारंग हो।
अपनों का संग हो यह लगाववादी बात अच्छी लगी।
होली के विषय में कुमार कौतुहल लिखते हैं
बुरा न मानो होली है
काम नेक ये कर बैठी
नाम एक से कर बैठी
सबकी सब पहचान मिटी
आनोबानोशान मिटी
लेकर सभी गुलाल चले
सब मिट्टी के लाल चले
किसने कितने गाल मले ?
सबमें यही सवाल चले
होली हंसी ठिठौली है
बुरा न मानो होली है
to read more search in google Kumar koutuhal.
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thnks..... n thnks for the beautiful poetry as well.
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